Swatantra Prakashan Private Limited has been envisioned by Sushil Swatantra, who is a social worker turned writer. He had been working in the fields of health and awareness in the slums of Delhi. He has served as editor of Hindi weekly titled Hind Watch, published from Delhi. He wrote in various genres. He was born on 24th August 1978 in Hazaribagh (undivided Bihar). His childhood was spent running over the coal mines. While studying at Delhi University, he started doing social work in slums situated on the bank of Yamina. He started social activities from the largest slum area of Delhi called Yamuna Pushta, which was called 'Dharavi' of Delhi. Presently this has been relocated and shifted by the government in the different parts of Delhi.
He has long experience of working in health sector for HIV/AIDS awareness with high risk behavior groups like female sex workers and truckers. Delhi has been his workplace for last two and a half decades, but the black dust of the coal mines pulls him towards the land of his birth again and again. Presently he reside in both places, Delhi and Ramgarh in Jharkhand. He considers Jharkhand to be the most suitable place for writing. He write poems, stories, articles, audio shows and novels. He is editor and publisher of ‘Hindi Sahityanama’, a comprehensive directory of Hindi literature.
Audio shows written by him have been broadcasted on various audio platforms. His literary works have been published in the form of the collection of Hindi poems ‘Sambhawnaon Ka Shahar’ (The City of Possibilities) and novels ‘Trilokpati Ravan’ and ‘Sanjana’. Through the creation of the Asura Gatha Series, he appeared in the literary world with his best literary contribution. The first novel of this series ‘Trilokapati Ravana’ is in discussion these days in the literary circle. Translation of this novel into other Indian languages including Tamil is in progress. All the novels written by him are available on all leading online platforms.
Apart from writing, he works as a full time publisher at Swatantra Prakashan Group. His deep faith in equality and democracy is clearly reflected in his writings. He is interested in the study of Mythology and History. He has been engaged in organizing and coordinating programs on the issues of public concern, women empowerment, peace & harmony, art, culture, literature and South-Asian relations.
He contributes to the society and the nation in many ways. He is associated with many social, cultural, government and non-government organizations as a trainer, evaluator and consultant. He is chairman of the social organization called 'New India Mission', the founder and convener of Dharti Theater and the secretary of the Sarva Dharma Samanvay Parishad. As a publisher, he has published hundreds of books.
संक्षिप्त परिचय :
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता से साप्ताहिक अखबार का संपादक और फिर लेखक बनें सुशील विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। 1978 में उनका जन्म हजारीबाग (अविभाजित बिहार) में हुआ। बचपन कोयला खदानों के ऊपर दौड़ते-भागते बीता। दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही वे झुग्गी बस्तियों में सामाजिक कार्य करने लगे थे। उन्हें लम्बे समय तक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एच.आई.वी./एड्स जागरूकता के लिए उच्य जोखिम समूहों जैसे महिला यौन कर्मियों व ट्रकर्स के साथ काम करने का अनुभव है। ढाई दशक से दिल्ली उनकी कर्मभूमि रही है लेकिन कोयला खदानों की धूल बार-बार उन्हें अपनी ओर खींच लाती है। फिलहाल दिल्ली एवं झारखंड के रामगढ़ दोनों ही जगहों में उनका प्रवास होता है। लेखन के लिए वे झारखंड को बेहद माकूल जगह मानते हैं। वे कविता, कहानी, आलेख, ऑडियो शो एवं उपन्यास लिखते हैं। वे हिंदी साहित्य की विस्तृत निर्देशिका “हिंदी साहित्यानामा” के संपादक एवं प्रकाशक हैं।
वे ऑडियो शो भी लिखते हैं, जिनका प्रसारण विभिन्न ऑडियो प्लेटफॉर्म्स पर चुका है। उनकी रचनाएँ "संभावनाओं का शहर" कविता संग्रह एवं “ये वो संजना तो नहीं” उपन्यास के रूप में प्रकाशित हुईं हैं। असुर गाथा श्रृंखला की रचना के माध्यम से वे साहित्य जगत में अपने सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक योगदान के साथ उपस्थित हुए हैं। इस श्रृंखला का पहला उपन्यास "त्रिलोकपति रावण" इन दिनों चर्चा में है। इस उपन्यास का तमिल सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। सुशील द्वारा रचित सभी उपन्यास को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध हैं।
वे वर्षों से सामाजिक-साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। समानता और लोकतन्त्र में गहरी आस्था के कारण उनके लेखन में प्रतिबद्ध जनपक्षधरता स्पष्ट दिखाई देती है। वे माइथोलॉजी के अध्ययन में रुचि रखते हैं। वे जन सरोकार के मुद्दों के साथ जुड़कर महिला सशक्तिकरण, कला-संस्कृति, साहित्य एवं दक्षिण एशिया शांति विषयों पर कार्यकर्मों के संचालन व समन्वय के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे कई सामाजिक, सांस्कृतिक, सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ प्रशिक्षक, मूल्यांकनकर्ता व सलाहकार के रूप में जुडे हुए हैं। वे सामाजिक संस्था ‘न्यू इंडिया मिशन’ के अध्यक्ष, धरती थियेटर के संस्थापक एवं संयोजक और सर्वधर्म समन्वय परिषद के सचिव भी हैं। एक प्रकाशक के रूप में उन्होने सैकड़ों पुस्तकों को प्रकाशित किया है।