वादियों की गोद में पले-बढ़े, पहाड़ की पगडंडियों पर दौड़ते-भागते हुए युवा कलमकार भूपेन्द्र कण्डारी ने हिंदी साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में परास्नातक की शिक्षा हासिल की है। वे बी.एड. सीसेट यूटीटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। वे सामाजिक-वैचारिक कार्यों में सक्रियतापूर्वक भाग लेते हैं। समता, न्याय और लोकतंत्र में गहरी आस्था रखने वाले भूपेन्द्र कण्डारी का ‘लोकतंत्र में अभिव्यक्ति’ पहला काव्य-संग्रह हअपने माता-पिता श्रीमती नौरती देवी, श्री शिव सिंह कण्डारी और बहन अंजना कण्डारी और भाई श्री दीपेन्द्र कण्डारी को अपनी ताक़त मानने वाले भूपेन्द्र, चमोली जिले के खलतरा (भीमताल) गाँव में रहते हैविभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित हुईं हैं, जिनमें शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित पाँच से अधिक शोध-पत्र शामिल हैं।