रश्मि वैभव गर्ग
कविता-कहानी में सहज भावों को अभिव्यक्त कर अपने जीवन को सार्थकता के बोध से भरने वाली रश्मि वैभव गर्ग रचनात्मक आशाओं से लबरेज साहित्यसेवी हैं। उनका जन्म 19 अगस्त, 1975 को मध्यप्रदेश के सबलगढ़ में हुआ। रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण करने वाली रश्मि, जब अपना रचना संसार सृजित करती हैं, तब भावों और रिश्तों की कैमिस्ट्री पर उनकी पकड़ कमाल की होती है। वे राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं और कोटा राजस्थान में निवास करती हैं।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और साहित्यिक पोर्टल्स में उनकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकीं हैं। वे ‘प्रतिलिपि’ पर नियमित तौर पर लेखन करती हैं एवं उनकी रचनाओं को पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनकी कहानी ‘केशवी’ को प्रतिलिपि कहानी प्रतियोगिता 2022 में पुरस्कृत किया गया है। उनकी दूसरी कहानी ‘जख़्म’ को हमरंग फाउंडेशन की ओर से विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया है।
स्वतंत्र प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित होने वाले साझा संकलन ‘आग का दरिया’ के लिए भी उनकी दो प्रेम कविताओं को चयनित किया गया है।
इस कहानी संग्रह ‘प्रतिबिम्ब’ के साथ वे अपने सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक योगदान के साथ साहित्य जगत में उपस्थित हो रहीं हैं।