शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'
राजस्थान के सुजानगढ़ में 26 नवम्बर 1969 को जन्मीं शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’ का विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य से लगाव रहा है। जीवन की पहली कविता की रचना उन्होंने कक्षा सात से ही की थी। विवाहोपरांत वे असम के तिनसुकिया में प्रवास करने लगीं, जहाँ रहकर उच्च शिक्षा हासिल करने के साथ-साथ अनवरत साहित्य साधना करतीं रहीं।
अब तक पाँच प्रकाशित पुस्तकों और सोलह साझा संकलनों के माध्यम से वे साहित्य जगत में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज करवा चुकीं हैं।
उनका रचना संसार विविधरंगी है जिसमें छंद, गजल, गीत, हाइकू, पिरामिड, लघु कथा आदि शामिल है। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में उनकी विशेष रुचि रही है। उनकी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। उन्हें देश के विभिन्न साहित्यिक मंचों पर सम्मानित किया गया है, जिनमें 'समाज भूषण-2018', 'आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’, 'प्राइड वीमन ऑफ इंडिया 2022’, सम्मान प्रमुख हैं। उन्हें विभिन्न साहित्यिक समुहों और संस्थानों से सैकड़ों अलंकरण और प्रसस्ति पत्र प्राप्त हो चुके हैं।